ये मुल्क है शोर पर फ़िदा
किसी की आँखों पर फ़िदा, किसी के तौर पर फ़िदा
किसी लिबास पर फ़िदा, किसी के ज़ोर पर फ़िदा
समझने-सोचने से कर के बैठा तर्क-ए-ताल्लुक
ये मुल्क शोर चाहता है , बस है शोर पर फ़िदा
एक नगर, चार शायर, तरही ग़ज़लें - 13-04-2025 गेज डायरी :: एक कसबा, चार शायर, चार समकालीन ग़ज़लें - समकालीन ग़ज़ल आधुनिक युग की संवेदनाओं ...
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